Chanda | Ardaas.Life - A Modern Seeker’s MahaShivPuran
23 episodes
3 days ago
Drop us a message, apni baat humse keh dijiye जब हवा में कोयल का गीत घुलता है और घाटियों पर वसंत का रंग बिखरता है, तब भी कैलाश पर बैठा योगी अचल कैसे रहता है? हम कहानी खोलते हैं जहां ब्रह्मा एक सरल प्रश्न से गहरी खोज शुरू करते हैं: कामदेव, रति और वसंत ने मिलकर शिव को जगाने की हर युक्ति आजमाई, फिर भी समता क्यों न टूटी। दक्ष की उलझन मानव मन की दुविधा जैसी है—आकर्षण सर्वत्र है, पर व्रत के सामने वह क्यों ठहर जाता है। इसी पथ पर हम देखते हैं कि प्रकृति माहौल बदल सकती है, पर नीयत नहीं; दृश्य मोहित क...
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Drop us a message, apni baat humse keh dijiye जब हवा में कोयल का गीत घुलता है और घाटियों पर वसंत का रंग बिखरता है, तब भी कैलाश पर बैठा योगी अचल कैसे रहता है? हम कहानी खोलते हैं जहां ब्रह्मा एक सरल प्रश्न से गहरी खोज शुरू करते हैं: कामदेव, रति और वसंत ने मिलकर शिव को जगाने की हर युक्ति आजमाई, फिर भी समता क्यों न टूटी। दक्ष की उलझन मानव मन की दुविधा जैसी है—आकर्षण सर्वत्र है, पर व्रत के सामने वह क्यों ठहर जाता है। इसी पथ पर हम देखते हैं कि प्रकृति माहौल बदल सकती है, पर नीयत नहीं; दृश्य मोहित क...
Ep 18 | Shiv ki Samadhi aur Kamdev ki Haar | MahaShivPuran | Sati Khand (Chapters 60 & 61)
Har Din MahaShivPuran
17 minutes
1 week ago
Ep 18 | Shiv ki Samadhi aur Kamdev ki Haar | MahaShivPuran | Sati Khand (Chapters 60 & 61)
Drop us a message, apni baat humse keh dijiye जब हवा में कोयल का गीत घुलता है और घाटियों पर वसंत का रंग बिखरता है, तब भी कैलाश पर बैठा योगी अचल कैसे रहता है? हम कहानी खोलते हैं जहां ब्रह्मा एक सरल प्रश्न से गहरी खोज शुरू करते हैं: कामदेव, रति और वसंत ने मिलकर शिव को जगाने की हर युक्ति आजमाई, फिर भी समता क्यों न टूटी। दक्ष की उलझन मानव मन की दुविधा जैसी है—आकर्षण सर्वत्र है, पर व्रत के सामने वह क्यों ठहर जाता है। इसी पथ पर हम देखते हैं कि प्रकृति माहौल बदल सकती है, पर नीयत नहीं; दृश्य मोहित क...
Har Din MahaShivPuran
Drop us a message, apni baat humse keh dijiye जब हवा में कोयल का गीत घुलता है और घाटियों पर वसंत का रंग बिखरता है, तब भी कैलाश पर बैठा योगी अचल कैसे रहता है? हम कहानी खोलते हैं जहां ब्रह्मा एक सरल प्रश्न से गहरी खोज शुरू करते हैं: कामदेव, रति और वसंत ने मिलकर शिव को जगाने की हर युक्ति आजमाई, फिर भी समता क्यों न टूटी। दक्ष की उलझन मानव मन की दुविधा जैसी है—आकर्षण सर्वत्र है, पर व्रत के सामने वह क्यों ठहर जाता है। इसी पथ पर हम देखते हैं कि प्रकृति माहौल बदल सकती है, पर नीयत नहीं; दृश्य मोहित क...