
मैं अक़्सर रातों को ये ख़्वाब देखता था कि किसी ज़लज़ले के बाद बाज़ार में लूट मची हुई है। कोई आदमी टीवी लेकर भाग रहा है, तो कोई कूलर और फ्रीज। कोई किचन के बरतन बटोर रहा है, तो कोई सुनार की दुकान से सोने चांदी के गहने। कम्बख़्त लालची ज़माना Assets जुटाने में मसरूफ़ होता और मैं हलवाई की दुकान पर आराम से बैठा वहां रखी एक-एक मिठाई पर बड़ी तसल्ली से हाथ साफ़ कर रहा होता। बिना उस टूटे हुए छज्जे की परवाह किए, जो मेरे ही ऊपर गिर सकता था। विवेक जेटली की आवाज़ में सुनिए दिलीप कापसे की यादों से निकला एक मज़ेदार क़िस्सा। #KissaBazaar #HindiStory #VivekJaitly #DilipKumarKapse #SankiAaya #StoryTeller #StoryTelling #HindiStoryTelling #NewStories #StoriesByDilipKumarKapse #StoryTellerVivekJaitly #क़िस्साबाज़ार #हिंदीकहानी #दिलीपकुमारकापसे #विवेकजेटली हमारे साथ जुड़ने के लिए Subscribe करें हमारा चैनल #kIssaBazaar और अगर आपको ये वीडियो पसंद आया हो तो Like, Comment, Share ज़रूर करें।