
ये कहानी शर्मा जी व उनके परिवार की है।
बल्कि यूँ समझिये कि ये कहानी आज के हिन्दुस्तान की है।
नेता या सरकारी अधिकारी न बन पाने के कारण शर्मा जी देश की सम्पदाओं को अंदर से चूसने में असमर्थ हैं। इसके चलते घर चलाने के लिए वे तिकड़म
बाज़ी करने को मजबूर हैं।
कदाचित जो लोग सीधे सादे हैं, वे खुशी से वंचित हैं, जो चालाक लोग हैं, वे तो सुख पा रहे हैं।
क्या शर्मा जी की छोटी मोटी चालाकियां उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर पाएंगी?
क्या शर्मा परिवार सुख रूपी आकाश कुसुम को प्राप्त कर पायेगा?