
एक माँ की कहानी जो शहर में आकर अपनी आदतानुसार लोगों की मदद करती है और लोग उनकी मदद का क्या अर्थ निकालते हैं और कैसे उनकी बहु उनकी आत्मसम्मान के लिए कड़ी होती है ?
सुनिए , बहुत ही inspiring story !!!!!!!
"लो इसमें भला चिंता की क्या बात है। मैं क्या छोटी बच्ची हूँ जो कहीं गुम हो जाउंगी ? घर से निकलकर ज़रा पास -पड़ोस में घूम आती हूँ तो मेरा भी मन बदल जाता है और उनकी भी सहायता हो जाती है। सच कहूँ तो बड़ा संतोष होता है कि यह जीवन किसी के काम आ रहा है , कामिनी बड़े संतोष से .....
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