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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Brahm Homeopathy | Dr Pradeep kushwaha
185 episodes
1 day ago
PANCREATITIS TREAETMENTS WHAT IS PANCREATITIS? Pancreatitis is a condition characterized by inflammation of the pancreas, a gland responsible for digestion and blood sugar regulation. There are two main types: acute and chronic. Acute pancreatitis, often severe but usually resolved with medical treatment, can be caused by factors like gallstones, alcohol consumption, infections, trauma, or high triglycerides. Symptoms include abdominal pain, nausea, vomiting, fever, rapid pulse, and tender abdomen. Chronic pancreatitis, on the other hand, is a long-term inflammation that can cause permanent
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PANCREATITIS TREAETMENTS WHAT IS PANCREATITIS? Pancreatitis is a condition characterized by inflammation of the pancreas, a gland responsible for digestion and blood sugar regulation. There are two main types: acute and chronic. Acute pancreatitis, often severe but usually resolved with medical treatment, can be caused by factors like gallstones, alcohol consumption, infections, trauma, or high triglycerides. Symptoms include abdominal pain, nausea, vomiting, fever, rapid pulse, and tender abdomen. Chronic pancreatitis, on the other hand, is a long-term inflammation that can cause permanent
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Episodes (20/185)
Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Urticaria treatment in hindi | Hives ka sabse acha ilaj | Urticaria symptoms| Skin allergy treatment

**अर्टिकेरिया(Urticaria) का इलाज – कारण, लक्षण और उपचार**
*परिचय*
अर्टिकेरिया जिसे आमतौर पर *हाइव्स* कहा जाता है, यह त्वचा के संबंधी समस्या है. जिस में शरीर पर लाल रंग के दाने, या सूजन और खुजली होती है।
- इस तरह के स्थिति कुछ मिनटों से लेकर कई दिनों तक रह सकती है। कई बार अपने आप ही ठीक हो जाती है, पर कुछ मामलों में बार-बार वापस से आती है, जिसे *क्रोनिक अर्टिकेरिया* भी कहा जाता है।
- इस तरह के समस्या एलर्जिक प्रतिक्रिया, और तनाव, या तो, दवाओं के कारण भी हो सकता है।
१) अर्टिकेरिया के मुख्य कारण क्या होता है?
अर्टिकेरिया के मुख्य कारण निचे बताये अनुसार हो सकता है. ,जैसे की, - अर्टिकेरिया *एलर्जिक* के कारण से भी होती है, जिस में शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली हिस्टामिन नामक रसायन को छोड़ती है। इस से त्वचा के छोटी रक्त वाहिकाएँ फैल जाती हैं और सूजन के साथ खुजली आना शुरू हो जाती है। इसके प्रमुख कारण हैं –
**खाद्य पदार्थों से एलर्जी ** ::– अंडा, नट्स, दूध, सोया, स्ट्रॉबेरी, और चॉकलेट आदि। **दवाइयों का प्रभाव** ::पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स या दर्द निवारक जैसे दवाएँ।
 **संक्रमण** :: वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से भी ।
 **कीट के काटने से** :: मच्छर, या अन्य कीटों के डंक से भी स्किन में प्रतिक्रिया होती है।
 **तापमान में परिवर्तन** :: ठंडी या गर्म हवा के संपर्क में आने से भी कुछ लोगों में अर्टिकेरिया हो जाता है।
 **मानसिक तनाव** :: ज्यादा चिंता या मानसिक दबाव से भी ट्रिगर बन सकता है।
   
२)अर्टिकेरिया के लक्षण किस तरह के हो सकते है?
अर्टिकेरिया के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है, जैसे की,
 - त्वचा पर लाल रंग के छोटे-छोटे दाने या चकते का होना ।
 * खुजली और जलन जैसा एहसास।
 * असरकारक वाले भाग पर सूजन का आ जाना।
 * दाने एक जगह से गायब होकर दूसरे जगह पर आ जाना।
३) डॉक्टर अर्टिकेरिया का निदान कैसे करते है?
डॉ. आमतौर त्वचा की जांच और मरीज के लक्षण के आधार पर निदान करते हैं। कुछ मामलों में डॉ. नीचे दिए गए कुछ जाँच करने को कहते है – **एलर्जी टेस्ट ** :: किस पदार्थ से एलर्जी हो रही है। उसका पता करने के लिए.
 **ब्लड टेस्ट** :: संक्रमण या इम्यून सिस्टम की स्थिति को जानने के लिए.
 **थायरॉइड के जांच** :: कभी-कभी थायरॉइड भी असंतुलन का कारण बनता है।
४) अर्टिकेरिया का घरेलू और प्राकृतिक उपचार?
**ठंडी सिकाई ** :: खुजली और सूजन वाले जगह पर बर्फ घिसने से तुरंत ही राहत मिलती है।
 **एलोवेरा जेल** :: यह स्किन को ठंडक देता है और सूजन को कम करता है।
 **नीम और हल्दी** :: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी का गुण होता है, जो की, संक्रमण को कम करते हैं।
 **तुलसी के चाय** :: इसमें एंटीऑक्सीडेंट होने से सूजन को कम करने में सहायक हैं।
५) अर्टिकेरिया से बचाव के लिए क्या उपाय है?
*जिन खाद्य पदार्थों के खाने से एलर्जीक है, उन से पूरी तरह से दूर रहे।
 * कॉटन के कपड़े को पहनें जिस से की त्वचा को सांस लेने की जगह मिले।
 * बहुत ही ज्यादा गर्म या तो, ठंडे वातावरण से बचें।
 * तनाव से बचें — और डेली कसरत करना अच्छा होता है.
 * उचित मात्रा में पानी पिएँ, ताकि शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल सकें।
# डॉक्टर से कब संपर्क करें?
यदि अर्टिकेरिया के साथ कुछ इस तरह के लक्षण दिखें तो तुरंत ही डॉक्टर से मिलें।
 * साँस लेने में कभी -कभी परेशानी का होना।
 * गले में सूजन का आ जाना।
 * तेज बुखार रहना।
 * लगातार अर्टिकेरिया का होना

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1 day ago
4 minutes 12 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
gastric problem in hindi | गैस्ट्राइटिस के लक्षण और उपचार | acute gastritis in hindi | symptoms

गैस्ट्रिक क्या है और इसका सही इलाज?
*परिचय*
भारत में इस तरह की प्रॉब्लम अब बहुत ही ज्यादा देखने को मिलता है। गैस की समस्या ,आज के समय में बहुत ही आम बात हो गयी है।
-यह समस्या तब होती है, जब पेट में गैस का ज्यादा उत्पादन होता है. या तो सही तरह से गैस बाहर नहीं निकल पाती है ।
- यह एक सामान्य प्रॉब्लम है, पर इसका सही इलाज और ध्यान नही दिया जाए, तो यह *एसिडिटी, पेट में तेज दर्द, या अल्सर* जैसी गंभीर बीमारियों हो सकती है. 
१ ) गैस्ट्रिक समस्या क्या है?
गैस्ट्रिक को हम दूसरे शब्दो में “पेट में गैस बनना” भी कहा जाता है। - जब भोजन सही ढंग से नहीं पचता है, तो उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट और फैट्स आंतों में किण्वित होकर गैस उत्पन्न करते हैं। 
 - इस गैस से छाती या पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द या सीने में जलन , और भारीपन का कारण बनती है।
  
२) गैस्ट्रिक की मुख्य वजह क्या है?
- 1. **ख़राब तरह का खानपान** : – बहुत ही ज्यादा तला-भुना, और मसालेदार भोजन , या बाहर का खाना बहुत ही ज्यादा मात्रा में खाना या तो,देर से खाना खाना। - 2. **खाने की अनियमित दिनचर्या** :– बहुत ही लंबे समय तक रहना या बार-बार खाना। 
 - 3. मानसिक तनाव से पाचन को बहुत ही ज्यादा असर होता है।
 - 4. शरीर में से पानी की कमी का होना। 
 - 5. ज्यादा कैफीन और शराब का सेवन करने से पेट की अम्लता को बढ़ाता हैं।
 - 6. **धूम्रपान करने से पेट के म्यूकोसा को नुकसान होता है।
३) गैस्ट्रिक के क्या लक्षण हो सकते है?
गैस्ट्रिक के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है , जैसे की,
 - पेट में गैस बन जाना और सीने में बहुत ही तेज दर्द का होना
 - मुँह में से खट्टी डकारें का आना
 - सही तरह से भूख न लगना 
 * सिर में तेज दर्द और चिड़चिड़ापन लगना यदि इस तरह की स्थिति बार-बार हो, जाये तो *GERD** का संकेत हो सकता है।
 ४ ) गैस्ट्रिक होने पर क्या खाएँ और क्या नहीं खाएँ?
#क्या खाएँ#  * हल्का और कम मसाले वाला भोजन को खाना
 * केला, पपीता और सेब बहुत ही लाभदायक है 
 * दही और छाछका सेवन करना 
 * उचित मात्रा में पानी को पीना
 # क्या न खाएँ#
* ज्यादा तले-भुने और मसालेदार वाला भोजन नहीं करना
 * फास्ट फूड, और कोल्ड ड्रिंक से दुरी बनाये रखना
 * चाय और कॉफ़ी को कम पीना 
 * देर रात में खाना को नहीं खाना  # दैनिक आदतें#  * खाना को अच्छे से चबाकर और धीरे-धीरे खाएँ।
 * भोजन करने के बाद में तुरंत न लेटें।
 * डेली कसरत या मॉर्निंग में टहलना
५) गैस्ट्रिक से बचाव के प्रभावी उपाय क्या है?
निचे कुछ उपाय को बताया गया है, जैसे की, 
 - 1. दिन में ३ बार हल्का - हल्का करके भोजन करें,
 - 2. कम से कम 7 घंटे तक नींद लें।
 - 3. भोजन करने के बाद में तुरंत नहीं सोना चाहिए।
 - 4. धूम्रपान और शराब से पूरी तरह से दूरी को बनाएँ 
 - 5. तनाव को कम करने के लिए मॉर्निंग में योग करें। 
 - 6. ज्यादा मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से परहेज़ करें।

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1 week ago
4 minutes 19 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
क्या उल्टी या मतली फैटी लीवर की वजह से होती है |Is vomiting or nausea caused by fatty liver?

क्या उल्टी या मतली फैटी लीवर की वजह से होती है |Is vomiting or nausea caused by fatty liver?

 

#vomiting #nausea #diarrhea #kmobatch #vomit #constipation #health #fever #fatigue #weightloss #pain

#brahmhomeo

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2 weeks ago
1 minute 12 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
GERD गर्भावस्था में क्यों होता है? | GERD MEDICAL REPORT | GERD बिना इलाज कितना खरनाक है?| GERD ilaj

१) गर्भावस्था में GERD (एसिड रिफ्लक्स) क्यों होता है?
**परिचय**
 गर्भावस्था महिला के जीवन का बहुत ही खूब सूरत समय है. इस दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन बदलाव के वजह से कई महिला को एसिडिटी, और सीने में जलन या तो खट्टी डकार जैसी समस्याएँ होती हैं। इन लक्षणों को **GERD** कहा जाता है।
 - गर्भावस्था के समय के दौरान GERD सामान्य पर परेशान करने वाली स्थिति है। रिसर्च बताते हैं कि, लगभग 50% से ज्यादा गर्भवती महिलाएँ को किसी न किसी रूप में एसिड रिफ्लक्स का अनुभव करती हैं.
२) GERD क्या होता है?
GERD तब होता है, जब पेट का एसिड वापस से भोजन नली में ऊपर की ओर चला जाता है।
- भोजन नली और पेट के बीच में एक वाल्व जैसी संरचना होते है, जिसे हम **(LES)** भी कहते है।
- यह वाल्व एसिड को ऊपर जाने से रोकता है, पर यह ढीला पड़ जाता है तो एसिड ऊपर चढ़ने लग जाता है। यही स्थिति GERD कहलाती है।
३) गर्भावस्था में GERD के मुख्य कारण क्या होते है?
**1. हार्मोनल में परिवर्तन** गर्भावस्था में *प्रोजेस्टेरोन* हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन गर्भाशय की मांसपेशियों को ढीला रखता है ,जिस से की बच्चा सुरक्षित रूप से विकसित हो सके।  - यह प्रभाव मात्र गर्भाशय तक ही सीमित नहीं रहता है , बल्कि यह भोजन नली के वाल्व को भी ढीला कर देता है।
 - जिस के कारण से पेट का एसिड ऊपर की ओर जाता है, और सीने में जलन या तो , खट्टी डकारें आने लग जाती है. 
 **2. बढ़ता हुआ गर्भाशय और पेट पर दबाव**
 जैसे-जैसे गर्भावस्था महीने आगे बढ़ती जाती है, वैसे ही (baby) का आकार भी बढ़ता जाता है। जिस से की गर्भाशय फैल कर पेट और डायफ्राम पर दबाव डालता है।  - यह दबाव पेट में रहे हुए अंदर के एसिड को ऊपर की ओर ले जाता है। खास कर के जब भी महिला निचे के और झुकती है, और लेटती है. **3. पाचन की गति धीमी होना** गर्भावस्था के समय में शरीर के पाचन की प्रक्रिया से धीमी हो जाती है, ताकि भोजन से ज्यादा पोषक तत्व शिशु तक पहुँच सकें। - धीमी पाचन की क्रिया के कारण से पेट में भोजन ज्यादा लंबे समय तक रहता है, जिस से की एसिड बनने की संभावना और भी बढ़ जाती है. **4. खान-पान और जीवनशैली की आदतें**  महिलाओं में गलत तरह के खान-पान जैसे की, ज्यादा मसालेदार भोजन , या अधिक तला हुआ भोजन खाने से भी GERD की समस्या होती है।
 - बार-बार ज्यादा मात्रा में भोजन करने से, या तो खाने के तुरंत बाद में लेटना, और ज्यादा चाय-कॉफी पिने से भी हो सकता है.
  ३) गर्भावस्था में GERD के प्रमुख लक्षण क्या होते है?
गर्भावस्था में GERD के प्रमुख लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है, जैसे की,
 - 1. गले और सीने में जलन का होना - 2. खट्टी डकारें का आना या तो पेट में भारीपन जैसा लगना 
 - 3 . बार-बार खाँसी का आना और गले में खराश होना इस तरह के लक्षण आम तौर पर खाने के तुरंत बाद में या तो , रात में लेटने पर महसूस होते हैं।
 ४) GERD के प्रभाव (माँ और शिशु पर)?
- कुछ मामलों में तो, GERD माँ या तो, शिशु के लिए खतरा नहीं बनता, है पर जलन और असुविधा से गर्भवती महिला की नींद पर , भूख पर असर पड़ सकता है।  - अगर लक्षण अधिक बढ़ जाएँ तो और महिला को उल्टी, वजन में भी कमी हो, तो डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी होता है। ५) गर्भावस्था में GERD से राहत के उपाय क्या है?
  **1. खान-पान में परिवर्तन करें** - छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करें। - ज्यादा मसालेदार और जंकफूड और चॉकलेट चीज़ों को खाने से बचें।  - भोजन करने के बाद में तुरंत लेटना नहीं है। - ठंडे तरल पदार्थ से सीने में जलन को शांत करने में मदद करते हैं।  **2. सोने की स्थिति सही रखें**  बाईं और करवट ले कर सोना गर्भावस्था में अच्छा माना जाता है, क्योंकि पेट पर दबाव कम होता है। **3. कपड़ों का चयन** - ढीले और आरामदायक वाले कपड़े को पहनें। जिस से की पेट पर दबाव न पड़े। **4. जीवनशैली में सुधार**- खाने के तुरंत बाद में व्यायाम न करें।  - रोज़ाना हल्की वॉक करना ,सही है ,जिस से की पाचन क्रिया ठीक रहे।
 #GERD से बचाव के लिए उपयोगी टिप्स?
- भोजन को धीरे-धीरे और अच्छी तरह से चबा कर करे।
- पानी को अधिक पिएँ, पर भोजन के साथ में नहीं, बल्कि बीच-बीच में।
 - तनाव से दूर रहें। समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे सुरक्षित और उचित कदम है।

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2 weeks ago
5 minutes 27 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
क्या वोकल कार्ड नूडल्स गंभीर होते है? | Are vocal cord nodules serious? | vocal cord ka ilaj

क्या वोकल कार्ड नूडल्स गंभीर होते है? | Are vocal cord nodules serious? | vocal cord ka ilaj #yt

#vocalcord #larynx #laryngology #ent #voicebox #doctorsofinstagram #otorhinolaryngology #entdoctor #trendingnow #changeofvoice #factsoflife #facts #doctorlife #healthylifestyle #brahmhomeo

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2 weeks ago
1 minute 6 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
What causes fatty liver? |फैटी लीवर होने के क्या कारण हैं?

What causes fatty liver? |फैटी लीवर होने के क्या कारण हैं?

 

#fattyliver #liverhealth #liverdisease #liver #health #fattyliverdisease #cirrhosis #nafld #hepatitis #diabetes

#brahmhomeo 

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2 weeks ago
55 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
फैटी लिवर और नॉर्मल लिवर में क्या अंतर है|What is thedifference between fatty liver and normal liver

फैटी लिवर और नॉर्मल लिवर में क्या अंतर है|What is thedifference between fatty liver and normal liver

#fattyliver #liverhealth #liverdisease #liver #health #fattyliverdisease #cirrhosis #nafld #hepatitis #diabetes

#brahmhomeo 

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2 weeks ago
1 minute 8 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
IBS treatment | IBS kya hai | how to manage IBS daily | can IBS cause blood in stool

IBS treatment | IBS kya hai | how to manage IBS daily | can IBS cause blood in stool

#ibs #guthealth #ibsdiet #ibd #lowfodmap #bloating #sibo #chronicillness

#blood #brahmhomeo 

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3 weeks ago
47 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Appendix होने का मुख्य कारण क्या है? | What is the main reason for appendix? | Appendicitis ka ilaj

Appendix होने का मुख्य कारण क्या है? | What is the main reason for appendix? | Appendicitis ka ilaj

 

 

#appendix #ccw #vdevgroup #vdevelopmentgroup #seraph #carry #a #glock #concealed #edc #everydaycarry #brahmhomeo

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3 weeks ago
1 minute 13 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
लीवर फंक्शन टेस्ट क्या दिखाता है ? what does a liver function test show ?

लीवर फंक्शन टेस्ट क्या दिखाता है ? what does a liver function test show ?

#liver #livertransplant #health #diabetes #brahmhomeo 

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3 weeks ago
58 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
CT scan fatty liver kitna hona chahiye|क्या CT स्कैन फैटी लिवर की जानकारी देता है ?#liver #ct #fatty #liver #livertransplant #health #diabetes #brahmhomeo

CT scan fatty liver kitna hona chahiye|क्या CT स्कैन फैटी लिवर की जानकारी देता है ?#liver #ct #fatty

#liver #livertransplant #health #diabetes #brahmhomeo 

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3 weeks ago
1 minute 8 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
gastric problem in hindi | गैस्ट्राइटिस के लक्षण और उपचार | acute gastritis in hindi | symptoms

गैस्ट्रिक क्या है और इसका सही इलाज?

 

*परिचय*
भारत में इस तरह की प्रॉब्लम अब बहुत ही ज्यादा देखने को मिलता है।  गैस की समस्या ,आज के समय में  बहुत ही आम बात हो गयी है।

 

-यह समस्या तब होती है, जब पेट में गैस का ज्यादा उत्पादन होता है. या तो सही तरह से गैस बाहर नहीं निकल पाती है ।

 

- यह एक सामान्य प्रॉब्लम है, पर इसका सही इलाज और ध्यान नही  दिया जाए, तो यह *एसिडिटी, पेट में तेज दर्द,  या अल्सर* जैसी गंभीर बीमारियों हो सकती है.

 

 

१ ) गैस्ट्रिक समस्या क्या है?

 

गैस्ट्रिक को हम दूसरे शब्दो  में  “पेट में गैस बनना” भी कहा जाता है।

 

- जब भोजन सही ढंग से नहीं पचता है, तो उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट और फैट्स आंतों में किण्वित  होकर गैस उत्पन्न करते हैं।

 

- इस गैस से  छाती या पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द या सीने में जलन , और भारीपन का कारण बनती है।

 

२)  गैस्ट्रिक की मुख्य वजह क्या है?

 

- 1. **ख़राब तरह का खानपान** : – बहुत ही ज्यादा तला-भुना, और मसालेदार भोजन , या बाहर का खाना बहुत ही ज्यादा मात्रा में खाना या तो,देर से खाना खाना।

 

- 2. **खाने की अनियमित दिनचर्या** :– बहुत ही लंबे समय तक रहना या बार-बार खाना।

 

- 3. मानसिक तनाव से पाचन को बहुत ही ज्यादा असर होता है।

 

- 4. शरीर में से पानी की कमी का होना।

 

- 5. ज्यादा कैफीन और शराब का सेवन करने से पेट की अम्लता को  बढ़ाता  हैं।

 

- 6. **धूम्रपान करने से  पेट के म्यूकोसा  को नुकसान होता है।

 

३)  गैस्ट्रिक के क्या लक्षण हो सकते है?
गैस्ट्रिक के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है , जैसे की,

 

- पेट में गैस बन जाना और सीने में बहुत ही तेज दर्द का होना

 

-  मुँह में से खट्टी डकारें का आना

 

- सही तरह से भूख न लगना

 

* सिर में तेज दर्द और चिड़चिड़ापन लगना

 

यदि इस तरह की स्थिति बार-बार हो, जाये तो  *GERD** का संकेत हो सकता है।

 

४ ) गैस्ट्रिक होने पर क्या खाएँ और क्या नहीं खाएँ?

 

#क्या खाएँ#

 

* हल्का और कम मसाले वाला भोजन को खाना

 

* केला, पपीता और सेब बहुत ही लाभदायक है

 

* दही और छाछका सेवन करना

 

* उचित मात्रा में पानी को पीना

 

# क्या न खाएँ#
* ज्यादा  तले-भुने और मसालेदार वाला  भोजन नहीं करना

 

* फास्ट फूड, और कोल्ड ड्रिंक से दुरी बनाये रखना 
* चाय और कॉफ़ी को कम पीना

 

* देर रात में खाना को नहीं खाना

 

# दैनिक आदतें#

 

* खाना को अच्छे से चबाकर और धीरे-धीरे  खाएँ।

 

* भोजन करने के बाद में तुरंत न लेटें।

 

* डेली कसरत या मॉर्निंग में टहलना

 

५) गैस्ट्रिक से बचाव के प्रभावी उपाय क्या है?
निचे कुछ उपाय को बताया गया है, जैसे की,

 

- 1. दिन में ३ बार हल्का - हल्का करके भोजन करें,

 

- 2. कम से कम 7 घंटे तक नींद लें।

 

- 3. भोजन करने के बाद में  तुरंत नहीं सोना  चाहिए।  

 

- 4. धूम्रपान और शराब  से पूरी तरह से दूरी को बनाएँ

 

- 5. तनाव को  कम करने के लिए मॉर्निंग में योग करें।

 

- 6. ज्यादा  मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से परहेज़ करें।

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1 month ago
4 minutes 19 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Pancreatitis atrophy treatment| bina surgery Pancreas ka ilaj|Acute or atrophy Pancreatitis ka ilaj

१) Pancreatitis Atrophy का इलाज – कारण, लक्षण और उपचार की पूरी जानकारी?
#परिचय
**पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी ** का अर्थ होता है की, *अग्न्याशय  का सिकुड़ जाना।
- यह प्रकार की स्थिति **क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस** के ज्यादा लंबे समय तक बने रहने के कारण से होता है।
- जब बार-बार सूजन होता है, तो पैंक्रियाज के ऊतक धीरे-धीरे से नष्ट हो जाते हैं, और उसका अंग छोटा और कमजोर हो जाता है।
 - यह तरह की समस्या धीरे-धीरे पाचन को असर करती है ,और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाने से ,या तो,  वज़न  कम होने जैसी परेशानी  होती है.
२) पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी का प्रमुख कारण क्या होता है?
पैंक्रियाज  सिकुड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की,
 1.** ज्यादा लंबे समय तक शराब का सेवन** लगातार शराब पीने से पैंक्रियाज में सूजन हो जाती है, जो की बाद में उसे हानि कर सकता है.
 2. **क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस**   – पुराने सूजन के कारण से पैंक्रियाज के टिश्यू फाइब्रोटिक होने से काम करना बंद कर देते हैं। 
 3. **ऑटोइम्यून पैंक्रिएटाइटिस**   – शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियाज के कोशिका पर हमला कर देते है। 
 4. कुछ लोगों में तो, जन्म से ही पैंक्रियाज कमजोर होता है, और सही तरह के  एंजाइम असामान्य बनते हैं।  5. गॉलब्लैडर स्टोन**   – पित्त नली के अवरोध से पैंक्रियाज में दबाव बढ़ने लग जाता है, जिस से की हानि होता है।
३)  Pancreatitis Atrophy के क्या लक्षण हो सकते है?
इसके लक्षण धीरे-धीरे से होते हैं. जो की इस तरह से होते है, * ऊपरी पेट में लगातार दर्द का होना
 *  अपच  जैसा लगना
 * वज़न का कम  हो जाना
 * भूख में भी कमी होना या तो भूख नहीं लगना
 * ब्लड शुगर का बढ़ जाना इस तरह के लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया गया , तो पैंक्रियाज के  कार्य करने की क्षमता लगभग खत्म हो जाती है।
 ४) Pancreatitis Atrophy के लिए डॉक्टर किस तरह की (जांचें) करते है?
Pancreatic atrophy का पता करने के लिए डॉ. कुछ जाँच करवाने को कहते हैं, जैसे की,  1. CT Scan या MRI :– पैंक्रियाज के आकार और संरचना को देखने के लिए किया जाता है. 2. **Endoscopic Ultrasound** :– ऊतक के हानि और फाइब्रोसिस का आकलन के लिए । 3. **Pancreatic Function Test** :– एंजाइम और कार्य क्षमता को मापने के लिए।
 4. **Blood Test ** : – सूजन और एंजाइम असामान्यता के जांच के लिए।
 #उपचार?
Pancreatitis Atrophy का इलाज उसके कारण और लक्षण पर निर्भर करता है। जैसे की,  #1. *आहार और जीवनशैली में परिवर्तन* पैंक्रियाटाइटिस एट्रोफी के दर्दी को खाने-पीने में और अपने जीवन शैली पर ध्यान देना चाहिए।  **खाने में क्या खाना चाहिए** -  उबली हुई सब्ज़ियाँ और दलिया का उपयोग करना 
 *  पचने वाले प्रोटीन * विटामिन- A, D, K वाले खाद्य पदार्थ को खाने से 
 ** क्या नहीं खाना चाहिए**  -  ज़्यादा तैलीय और ज्यादा मसालेदार तली हुई चीज़ें।  * चाय और कॉफ़ी और कार्बोनेटेड ड्रिंक * शराब और धूम्रपान *
*किस आदत को सुधारें** * भोजन को छोटे - छोटे हिस्सों में ३-४ बार-बार खाएं  * तनाव से बचें और डेली कसरत करे।  * सही तरह से ७-८ घंटे की नींद को लें.  #2 .*सर्जिकल या एंडोस्कोपिक उपचार*  कई बार डक्ट ब्लॉकेज होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है, जैसे की,
 *Endoscopic stenting :  – पित्त या पैंक्रियाज डक्ट को खोलने के लिए.  *Partial Pancreatectomy : – खराब भाग को निकालना। *Celiac plexus block * :– दर्द को कम करने के लिए नर्व ब्लॉक

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1 month ago
3 minutes 23 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Celiac Disease overview| symptoms, pathophysiology, diagnosis, treatment | Guten free diet | Gut

१)सीलिएक डिज़ीज़ का इलाज क्या है?
यह ऑटोइम्यून विकार है, जिस में शरीर ग्लूटेन नामक प्रोटीन को पचाने में असमर्थ है।

 

- जब भी कोई मरीज सीलिएक रोग से पीड़ित होते है, तो भी ग्लूटेन वाला भोजन करते है, तो उसके रोग-प्रतिरोधक प्रणाली आंतों के दीवार पर हमला करते है। जिस के कारण से आंतों में सूजन आ जाते है.

 

- भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व को ठीक से अवशोषित भी नहीं कर पाता है। जिस के परिणाम स्वरूप शरीर में पोषण की कमी और एनीमिया, हड्डियों में कमजोरी और अन्य जटिल समस्याएँ भी हो सकती हैं।

 

आज के लेख में समझेंगे कि, सीलिएक डिज़ीज़ का इलाज क्या है, इसका प्रबंधन कैसे किया जाता है. और मरीज़ को क्या सावधानियों का पालन करना चाहिए।

 

२) सीलिएक डिज़ीज़ का मूल उपचार क्या है?
चिकित्सा विज्ञान में **सीलिएक रोग का कोई स्थायी इलाज ** अभी तो उपलब्ध नहीं है।

 

- इस बीमारी को दवा से ठीक नहीं कर सकते है , पर  जीवनशैली और आहार में परिवर्तन करके कर सकते है। सबसे प्रभावी और प्रमुख इलाज है।

 

#1.**ग्लूटेन-फ्री डाइट**
सीलिएक डिज़ीज वाले  मरीज को जीवनभर **ग्लूटेन-मुक्त भोजन** करना होता है। जिसका अर्थ है, कि गेहूँ, और जौ ,राई में से बनने वाले  पदार्थ को पूरी तरह छोड़ देना सही है।

 

**Avoid Foods**

 

  * गेहूँ की रोटी, नान, ब्रेड, केक, बिस्किट आदि को नहीं खाना ।

 

  * जौ से बने पेय पदार्थ को भी नहीं खाना चाहिए.

 

  * किसी भी तरह का प्रसंस्कृत खाना जिसमें ग्लूटेन मिश्रित हो।

 

**खाने वाले खाद्य पदार्थ**

 

  * मक्का (कॉर्न)

 

  * बाजरा, और  ज्वार

 

  * आलूऔर शकरकंद

 

  * ताजे फल और ताजे सब्ज़ियाँ

 

  * दूध से बनने वाले उत्पाद (यदि लैक्टोज इनटॉलरेंस नही हो तो )

 

# 2. **पोषण कमी की पूर्ति **
सीलिएक मरीज को अक्सर पोषण की कमी होती है, क्योंकि ज्यादा लंबे समय तक आंतें पोषक तत्वों को सही तहर से अवशोषित नहीं कर पातीं है।  इसलिए डॉ.कुछ निम्नलिखित सप्लीमेंट्स लेने की सलाह भी  देते हैं – जैसे की ,

 

* आयरन सप्लीमेंट  : – एनीमिया को दूर करने के लिए.

 

*  हड्डियों के मजबूती के लिए कैल्शियम और विटामिन-D

 

* विटामिन-B12 और फोलिक एसिड : – थकान और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचाव के लिए।

 

* मेटाबॉलिज्म को सुधारने के लिए जिंक और मैग्नीशियम।

 

#3. **दवाइयाँ और अन्य उपचार**

 

* सीलिएक का **कोई इलाज दवा से नहीं होता है.**

 

* यदि ग्लूटेन-फ्री डाइट देना शुरू करने के बाद भी लक्षण बने हैं, तो डॉ.  सूजन को कम करने के लिए **स्टेरॉयड दवाएँ** देते है।

 

#4. **जीवनशैली और सावधानियाँ**

 

* कोई भी तरह का पैक्ड फूड खरीदते समय हमेशा  **ग्लूटेन-फ्री वाला  लेबल** को देखें।

 

* ज्यादातर बाहर खाना खाते टाइम में सावधानी रखें, क्योंकि यह तली हुई चीज़ों में छुपा हुआ ग्लूटेनहो सकता है।

 

* अपने परिवार और मित्र को इसके बारे में बताएं, ताकि वे खाने-पीने में ध्यान रख सकें।

 

5. **दीर्घकालिक प्रबंधन**
यह रोग अगर हो जाए तो जीवनभर  ग्लूटेन से परहेज़ करना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

 

* अगर मरीज नियमित रूप से डाइट का पालन करे,  तो वह भी सामान्य जीवन जी सकता है।

 

6. **भविष्य की संभावनाएँ**

 

विज्ञान लगातार सर्च कर रहा है, ताकि सीलिएक रोग का कोई स्थायी इलाज खोज सके। अभी जिन क्षेत्रों पर काम हो रहा है, जैसे की ,–

 

* वैकल्पिक दवाइयाँ: ** :- ऐसी कोई दवा जो ग्लूटेन को तोड़कर उसे नुकसानदायक बनने से रोक सके ।

 

* टीकाकरण (Vaccine):** :- इम्यून सिस्टम को ग्लूटेन को सहन करने योग्य बनाने के प्रयास।

 

*एंजाइम सप्लीमेंट्स:** जो खाने में होने वाला ग्लूटेन को हानिरहित बना सकें।

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1 month ago
6 minutes 35 seconds

Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Homeopathy safe for pregnancy? | CA 19.9 is Pancreatitis cancer ? | Adenomyosis kaisa hota hai?| FAQ

Homeopathy safe for pregnancy? | CA 19.9 is Pancreatitis cancer ? | Adenomyosis kaisa hota hai?| FAQ

 

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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
How does homeopathy work ? | Homeopathy medicine kese Kam karti hai? | Kya homeopathy medicine

१. होम्योपैथी मेडिसिन कैसे काम करती है?
होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जो "समरूपता के सिद्धांत" (Law of Similars) पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार, जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष रोग के लक्षण उत्पन्न करता है, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लेकर रोगी में उन लक्षणों का उपचार कर सकता है। यह चिकित्सा प्रणाली 18वीं शताब्दी में जर्मन चिकित्सक सैमुएल हैनीमैन द्वारा विकसित की गई थी।
  
२. होम्योपैथी का सिद्धांत और कार्यप्रणाली?
(1)समरूपता का नियम (Law of Similars) इस सिद्धांत के अनुसार, "जो चीज बीमारी उत्पन्न कर सकती है, वही उसे ठीक भी कर सकती है।"
 -उदाहरण के लिए, क्विनाइन (Cinchona Bark) मलेरिया जैसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है, इसलिए होम्योपैथी में इसे मलेरिया के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
 (२) अत्यधिक पतला (Ultra Dilution) और शक्ति प्रदान करना (Potentization) होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक स्रोतों (पौधे, खनिज, पशु उत्पाद) से तैयार किया जाता है और उन्हें बार-बार पतला (dilute) किया जाता है।
 - इस प्रक्रिया को "पोटेंशिएशन" कहा जाता है, जिससे दवा में मूल पदार्थ के अणु नगण्य रह जाते हैं, लेकिन उसकी ऊर्जा या कंपन शरीर को प्रभावित करता है।
 (३) शरीर की आत्म-उपचार शक्ति (Self-Healing Power) को बढ़ावा होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाकर उसे खुद से ठीक करने में मदद करती है। यह सिर्फ लक्षणों को दबाने के बजाय बीमारी के मूल कारण को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
३.होम्योपैथी के कार्य करने का तरीका ?
- ऊर्जा स्तर पर कार्य करती है
 होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली होती हैं, वे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने का काम करती हैं।
 यह जैव-ऊर्जा (Vital Force) को उत्तेजित करके शरीर को खुद से ठीक करने के लिए प्रेरित करती हैं।  - कोशिकाओं और अंगों पर प्रभाव  जब होम्योपैथिक दवा शरीर में जाती है, तो यह कोशिकाओं के स्तर पर कार्य करके उनके कार्यों को सामान्य बनाती है।  - बिमारी के मूल कारण पर काम
 होम्योपैथी सिर्फ बाहरी लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने का कार्य करती है। यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर कार्य करके समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।


 ४.होम्योपैथिक उपचार के फायदे?
-सुरक्षित और प्राकृतिक
– इसमें केमिकल्स नहीं होते, इसलिए यह शरीर के लिए सुरक्षित है।
 -बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त – होम्योपैथी दवाएं सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित हैं।  -पुरानी और जटिल बीमारियों में प्रभावी – एलर्जी, अस्थमा, त्वचा रोग, माइग्रेन, और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में लाभकारी होती हैं। -मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी असरदार होती है।


 ५ .क्या होम्योपैथी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है?
होम्योपैथी पर कई शोध हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में इसे लेकर मिश्रित राय है। कुछ अध्ययन होम्योपैथी को प्रभावी मानते हैं, जबकि कुछ इसे प्लेसिबो प्रभाव (Placebo Effect) मानते हैं। हालांकि, दुनियाभर में लाखों लोग इसे अपनाते हैं और इसका लाभ अनुभव कर चुके हैं।

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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
Bulky Pancreas | Acute Necrotizing Pancreatitis treatment | Hepatosplenomegaly | lesser SAC | EDEMA

Bulky Pancreas | Acute Necrotizing Pancreatitis treatment | Hepatosplenomegaly | lesser SAC | EDEMAबिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज : प्राकृतिक और चिकित्सीय उपाय
पैंक्रियास हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन तंत्र को नियंत्रित करने और इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है। पैंक्रियास से जुड़ी बीमारियाँ, जैसे कि पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) या पैंक्रियाटिक इनसफिशिएंसी, काफी गंभीर हो सकती हैं। हालांकि, शुरुआती अवस्था में कई मामलों में ऑपरेशन के बिना भी इलाज संभव है।
 -इस लेख में, हम पैंक्रियास की समस्याओं के बिना सर्जरी इलाज के प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और चिकित्सीय उपायों पर चर्चा करेंगे।
  
1. पैंक्रियास की समस्याओं के लक्षण क्या होते है ?
यदि पैंक्रियास सही से काम नहीं कर रहा है, तो निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं: - पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना
 -जी मिचलाना और उल्टी
 -वज़न में कमी
 -गैस, बदहजमी, दस्त  -ब्लड शुगर लेवल में अनियमितता
   
2. बिना ऑपरेशन पैंक्रियास का इलाज कैसे होता है ?
(A) जीवनशैली और आहार में बदलाव
 पैंक्रियास को अच्छा रखने के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव ज़रूरी हैं।
 1. पौष्टिक आहार लें
-कम चर्बी वाला भोजन करें, क्योंकि चर्बी पैंक्रियास पर अधिक दबाव डाल सकता है।
 -उच्च फाइबर युक्त आहार लें, जैसे कि फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज।
 -प्रोसेस्ड फूड, तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचें।
 2. हाइड्रेशन
 -पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे शरीर से विषैले तत्व निकलते रहें। 
 3. शराब और धूम्रपान से दुरी
 शराब और धूम्रपान पैंक्रियास को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए इनसे दुरी बनाये रखे 
 4. नियमित व्यायाम करें
(B) आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार 

1. गिलोय और हल्दी 
 गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और सूजन कम करती है। हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) पाया जाता है, जो पैंक्रियास की सूजन को कम करने में सहायक है।


 (C) होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा कुछ होम्योपैथिक दवाएँ और प्राकृतिक उपचार पैंक्रियास के इलाज में मदद कर सकते हैं: 

Iris Versicolor: यह पैंक्रियास की सूजन को कम करने में मदद करती है।
 Phosphorus: पाचन क्रिया को सुधारने के लिए उपयोगी होती है।
 Nux Vomica: अपच और गैस की समस्या के लिए कारगर है।

 (D) डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मेडिकल उपचार
 अगर समस्या ज्यादा गंभीर है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए गैर-सर्जिकल उपचार अपनाने चाहिए:  

1. एंजाइम सप्लीमेंट्स
पैंक्रियास अगर पर्याप्त एंजाइम नहीं बना पा रहा हो, तो डॉक्टर एंजाइम सप्लीमेंट्स दे सकते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं। 2. दर्द निवारक दवाएँ
अगर पैंक्रियाटाइटिस के कारण दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर दर्द कम करने वाली दवाएँ लिख सकते हैं। 
 3. इंसुलिन थेरेपी
अगर पैंक्रियास इंसुलिन का उत्पादन कम कर रहा है, तो इंसुलिन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।

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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
कौनसा खाना आपके पेट के लिए अच्छा है? | pet ki smsaya ka ilaj | fast food vs healthy food

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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
क्या क्रोहन बीमारी में विटामिन बी12 की कमी होता है? |Crohn's disease cause vitamin B12 deficiency?

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1 month ago
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Dr Pradeep kushwaha | Brahm Homeopathy
PANCREATITIS TREAETMENTS WHAT IS PANCREATITIS? Pancreatitis is a condition characterized by inflammation of the pancreas, a gland responsible for digestion and blood sugar regulation. There are two main types: acute and chronic. Acute pancreatitis, often severe but usually resolved with medical treatment, can be caused by factors like gallstones, alcohol consumption, infections, trauma, or high triglycerides. Symptoms include abdominal pain, nausea, vomiting, fever, rapid pulse, and tender abdomen. Chronic pancreatitis, on the other hand, is a long-term inflammation that can cause permanent