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Pratidin Ek Kavita
Nayi Dhara Radio
958 episodes
2 days ago
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Kya Hum Sab Kuch Jaante Hain? | Kunwar Narayan
Pratidin Ek Kavita
2 minutes
4 days ago
Kya Hum Sab Kuch Jaante Hain? | Kunwar Narayan

क्या हम सब कुछ जानते हैं । कुँवर नारायण


क्या हम सब कुछ जानते हैं

एक-दूसरे के बारे में


क्या कुछ भी छिपा नहीं होता हमारे बीच

कुछ घृणित या मूल्यवान


जिन्हें शब्द व्यक्त नहीं कर पाते

जो एक अकथ वेदना में जीता और मरता है


जो शब्दित होता बहुत बाद

जब हम नहीं होते


एक-दूसरे के सामने

और एक की अनुपस्थिति विकल उठती है


दूसरे के लिए।

जिसे जिया उसे सोचता हूँ


जिसे सोचा उसे दोहराता हूँ

इस तरह अस्तित्व में आता पुनः


जो विस्मृति में चला गया था

जिसकी अवधि अधिक से अधिक


सौ साल है।

एक शिला-खंड पर


दो तिथियाँ

बीच की यशगाथाएँ


हमारी सामूहिक स्मृतियों में

संचित हैं।


कभी-कभी मिल जाती हैं

इस संचय में


व्यक्ति की आकांक्षाएँ

और विवशताएँ


तब जी उठता है

दो तिथियों के बीच का वृत्तांत।


Pratidin Ek Kavita
कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।